अफसर की दरियादिली
दरियादिल यह आइएएस अफसर पत्नी से खाना बनवाता है। फिर टिफिन में लेकर निकल पड़ता है वृद्धा के चिन्नमालनिकिकेन पट्टी स्थित झोपड़ी में। जिस बूढ़ी माता से पास-पड़ोस के लोग आंखें फेरे हुए थे, कुछ ही पल में उनकी झोपड़ी के सामने जिले का सबसे रसूखदार अफसर मेहमान के तौर पर खड़ा नजर आता है। वृद्धा समझ नहीं पातीं क्या माजरा है। डीएम कहते हैं - माता जी आपके लिए घर से खाना लाया हूं, चलिए खाते हैं। वृद्धा के घर ठीक से बर्तन भी नहीं होते तो वह कहतीं हैं साहब हम तो केले के पत्ते पर ही खाते हैं। डीएम कहते हैं - अति उत्तम। आज मैं भी केले के पत्ते पर खाऊंगा।

किस्सा यही खत्म नहीं होता। चलते-चलते डीएम वृद्धावस्था की पेंशन के कागजात सौंपते हैं। कहते हैं कि आपको बैंक तक आने की जरूरत नहीं होगी, घर पर ही पेंशन मिलेगी। डीएम गाड़ी में बैठकर चले जाते हैं, आंखों में आंसू लिए वृद्धा आवाक रहकर देखती रह जातीं हैं |