सामर्थ्य झोंक दो, फिर देखो

मन का ये अँधियारा रास्ता, रोशन कैसे होता है |

कड़ी धूप में प्यासा कोई, कैसे राह संजोता है ||

कैसे उठते तूफानों को, धरती थामा करती है |

सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो, सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो ||


घिसट-घिसट कर चलने वाला, लक्ष्य में कैसे होता है |

चट्टान भेदने का दमखम, एक बीज में कैसे होता है ||

कैसे ईश्वर की आभा, पत्थर में लायी जाती है |

सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो, सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो ||

 

कैसे सब कुछ खोने वाला, कैसे सब कुछ पाता है |

कैसे बिना हाथ के ही, लक्ष्य को भेदा जाता है |

कैसे बिना पैर के कोई, पर्वत रौंदा करता है |

सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो, सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो ||

 

उजड़ी-उजड़ी भूमि में कोई, सरसों कैसे बोता है |

लिए हज़ारों मुश्किल कोई, रात में कैसे सोता है |

कैसे छोटी सी नाव कोई, सागर को घूरा करती है |

सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो, सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो ||


लोहा कैसे पिघल-पिघल कर, पानी जैसा दिखता है |

घास का तिनका घर बनकर, डालों पर कैसे टिकता है |

और गुमानी आसमान को,पंछी कैसे छूते हैं |

सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो, सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो ||

 

दुनिया घेरे अंधियारी को, सूरज कैसे पीता है |

जो सबसे ही हार गया, वो दुनिया कैसे जीता है ||

कैसे बाँस की लकड़ी कोई, सुर में गाया करती है |

सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो, सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो ||

 

तुम कैसे छिपी सफलता अपनी, क़दमों में ले आते हो |

कैसे बिन संसाधन के ही, साधक तुम बन जाते हो ||

कैसे राह असंभव कोई, संभव तुम कर जाते हो |

सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो, सामर्थ्य झोंक दो फिर देखो ||